Tuesday 23 April 2013

सोंच बदलने की आवश्यकता है

कभी हम यहाँ ऐसे होली मनाते थे १९८४-८५  

आदरणीय डॉ अनीस अहमद साहब ,

आपका जवाब पाकर अच्छा लगा , आपका आभार !!

                    मैं यहाँ 1983 से रह रहा हूँ , क्लब की स्थापना का अजेंडा शुरू से ही शामिल रहा है ! मगर यह केवल अजेंडा मात्र ही रहा है और फाइलों में लिखा हुआ है ! इस शानदार कार्य करने की मनस्थिति, कभी भी आर डब्लू ए नहीं बना पायी शायद यह हम लोगों की समझ में ही, कभी नहीं आया कि  हमारे बच्चों के लिएइसकी उपयोगिता क्या है  ? 
                 उनके विचार से यह विलासिता और "ऊंचे लोगों " की बाते हैं !

                जब यह सेकटर बना था तब यहाँ लोअर एवं मिडिल क्लास के लोग थे , मैं भी उन्ही व्यक्तियों में से एक हूँ ! हमारे सेकटर के बच्चे , आर्थिक द्रष्टि से भले बहुत मज़बूत न हों मगर उनका मस्तिष्क काफी अधिक विकसित है जिसे हमारी पीढी के लोग शायद ही स्वीकार कर पायें ! वे ( हमारे बच्चे ) समय के साथ चलना चाहते  हैं और  यह नहीं चाहते कि  उन्हें किसी के सामने दोयम दर्जे का महसूस करना पड़े !  जबकि हम बड़े लोग अक्सर हीं भावना के शिकार होते हैं  और उसके होते आसानी से समय के बदलाव और मांग को कभी स्वीकार नहीं करते ! 

                 हो सकता है मेरे कुछ दोस्त जो सेक्टर 19 एसोसियेशन में कार्यरत हैं मेरी बात को आसानी से स्वीकार न कर पायें पर उन्हें सेक्टर 15a के क्लब का चित्र दिखाइएगा जो कि मैं इस पत्र के साथ  लगा रहा हूँ और साथ ही अपने सेक्टर पदाधिकारियों के बैठने का कमरा भी , जिसमें खड़े होने और शांत माहौल में बात करने की जगह भी नहीं है ! इस कमरे को  देख कर, रिक्रियेशन क्लब बनाने और उस विषय पर बात करने के लिए, सरकारी  अधिकारियों के समक्षआवश्यक साहस और आत्म विश्वास, हम शायद ही जुटा पायें ?

               इतने शानदार सेकटर , जिसमें एक एक मकान की कीमत करोड़ों में है , के कम्यूनिटी सेंटर एवं असोसिएशन के दफ्तर में जाकर हमें अपनी औकात पता लग जाती है  ! इस दफ्तर और नॉएडा के अन्य विशिष्ट सेक्टर के दफ्तर में फर्क हमारी सोंच में फर्क बताने को काफी है ! 

सवाल हमारे नज़रिए और सोंच का है !

                   हमारी एसोसियेशन में मैं एक दो बार गया हूँ अफ़सोस है कि वहां गंभीर चिंतन अथवा बात करने के लिए माहौल तो है ही नहीं बल्कि बैठने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है ! हमारे सेक्टर के वृद्ध लोग अगर कोई जगह तलाश करें तो कहाँ जायेंगे ...??

क्या अजेंडा है हमारा  ??

                 मैं असोसिएशन में व्यक्तिगत तौर पर सिर्फ लक्ष्मी नारायण जी को जानता हूँ जो कि  मेरी नज़र में कर्मठ व्यक्ति हैं  ! 

                    हो सके तो अगली कार्यकारिणी की मीटिंग में मुझे खबर अवश्य दें ...मैं अपने प्रतिनिधियों से अपनी बात रखने के लिए 10 मिनट का समय चाहूंगा , शायद मैं अगली पीढी की  बात सही तरह आप लोगों को समझा पाऊंगा !
                    आशा है मेरे पत्र को सकारात्मक लेंगे , इस पत्र का उद्देश्य अपनी असोसिएशन का विरोध करना बिलकुल नहीं है !! केवल एक गंभीर  लक्ष्य की और अपने भाइयों का ध्यान आकर्षित करना मात्र है !

1 comment:

  1. इस नए अभियान की शुभकामनाएं

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